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वंदे गौ मातरम्

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वृक्षायुर्वेद कृषि विज्ञान

ताराचंद बेलजी तकनीक वृक्षायुर्वेद कृषि प्रकृति के ऊर्जा विज्ञान एवं पंचमहाभूतों के व्यवस्था विज्ञान पर आधारित है। यह तकनीक पंचमहाभूत ( भूमि, गगन, वायु, अग्नि, नीर) को शुद्ध, सजीव, संस्कारित करते हुए फसलों की स्वयं पोषी-स्वयं विकासी-स्वयं पूर्ण व्यवस्था को स्थापित करती है। उपलब्ध खाद्यान्न पंचतत्व की ऊर्जा से पूर्ण पौष्टिक और षडरस (खट्टा-मीठा नमक, कटू तिक्त कसाय) युक्त स्वादिष्ट होता है।

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ताराचन्द बेलजी
संस्थापक
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TCBT वृक्षायुर्वेद कृषि : चरणबद्ध प्रक्रिया

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1. पत्तियों का पीला पड़ना - नाइट्रोजन की कमी से सबसे पहले पुरानी पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं। यह हरिमाहीनता कहलाता है।
2. विकास में रुकावट- पौधों की वृद्धि धीमी हो जाती है और वे छोटे रह जाते हैं।
3. पत्तियों का झड़ना- पुरानी पत्तियां समय से पहले झड़ने लगती हैं।
4. पत्तियों का पतला होना- पत्तियां पतली और कमजोर हो जाती हैं
5. फूल और फल का गिरना- फूल और फल समय से पहले गिरने लगते हैं और फल छोटे रह जाते हैं।
6. पत्तियों का मुरझाना- पत्तियां मुरझाने लगती हैं और पौधे की नई वृद्धि सूख जाती है।
समाधान:-
1. हर अमावस्या पूर्णिमा जड़ों पर हाई सीएन रेश्यियो का घोल चलाएं।
2. राह पोटेशियम, राह कैल्शियम, राह मैग्निशियम जमीन पर दें।

1. पत्तियों का गहरा हरा या बैंगनी रंग- फास्फोरस की कमी से पत्तियों का रंग गहरा हरा, बैंगनी या नीला हो सकता है यह लक्षण सबसे पहले पुरानी पत्तियों में दिखाई देता है।
2. विकास में रुकावट- पौधों की वृद्धि धीमी हो जाती है और वे छोटे रह जाते हैं जड़ें भी कमजोर हो जाती हैं और उनका विकास रुक जाता है।
3. पत्तियों का मुड़ना- पत्तियां नीचे की ओर मुड़ने लगती हैं और उनका आकार छोटा हो जाता है।
4. पत्तियों का झड़ना- पुरानी पत्तियां समय से पहले झड़ने लगती हैं।
5. फूल और फल का गिरना- फास्फोरस की कमी के कारण फूल और फल छोटे रह जाते हैं या गिर जाते हैं।
समाधान:-
1. बुवाई करते समय राह प्रॉम जमीन पर डालें।
2. फसल घुट्टी और जीवन ऊर्जा को जड़ों पर दें।
3. राह फास्फो पोटाश का स्प्रे करें।

1. पत्तियों का किनारों से पीला होना- पोटाश की कमी से पत्तियों के किनारे पीले हो जाते हैं और बीच का हिस्सा हरा रहता है यह लक्षण सबसे पहले पुरानी पत्तियों में दिखाई देता है।
2. पत्तियों पर भूरे धब्बे- पत्तियों पर भूरे या जलने जैसे धब्बे दिखाई देने लगते हैं यह धब्बे पत्तियों के किनारों और निचले हिस्से में अधिक होते हैं।
3. पत्तियों का मुड़ना और सूखना- पत्तियां किनारों से मुड़ने लगती हैं और सूख जाती हैं यह लक्षण भी सबसे पहले पुरानी पत्तियों में दिखाई देता है।
4. विकास में रुकावट- पौधों की वृद्धि धीमी हो जाती है और वे कमजोर हो जाते हैं जड़ें भी कमजोर हो जाती हैं और उनका विकास रुक जाता है।
5. फूल और फल का गिरना- फूल और फल छोटे रह जाते हैं या गिर जाते हैं।
समाधान:-
1. फसल घुट्टी और जीवन ऊर्जा को जड़ों पर दें।
2. राह पोटेशियम जड़ों के पास डालें।
3. राह फास्फो पोटाश का स्प्रे करें।

1. नई पत्तियों का पीला होना- सल्फर की कमी का सबसे प्रमुख लक्षण नई पत्तियों का पीला होना है यह नाइट्रोजन की कमी से अलग है जिसमें पुरानी पत्तियां पीली होती हैं।
2. पत्तियों का छोटा और पतला होना- सल्फर की कमी से पत्तियां छोटी और पतली हो जाती हैं यह पौधों की सामान्य वृद्धि को प्रभावित करता है।
3. पत्तियों का मुड़ना- पत्तियां किनारों से मुड़ने लगती हैं और उनका रंग हल्का पीला हो जाता है।
4. तने का पतला रह जाना- सल्फर की कमी से तना पतला और कमजोर हो जाता है जिससे पौधे की संरचना प्रभावित होती है।
5. फूल और फल का गिरना- सल्फर की कमी के कारण फूल और फल छोटे रह जाते हैं या गिर जाते हैं।
6. जड़ों का कमजोर होना- जड़ें कमजोर हो जाती हैं और उनका विकास रुक जाता है जिससे पौधे की पोषण क्षमता कम हो जाती है।
समाधान:-
1. राह सेल 25 किलो जमीन पर डालें।
2. खनिज भस्म के घोल में राह सल्फर तरल मिलाकर स्प्रे करेंँ।

1. पत्तियों का छोटा और विकृत होना- जिंक की कमी से नई पत्तियां छोटी और विकृत हो जाती हैं यह लक्षण सबसे पहले नई पत्तियों में दिखाई देता है।
2. पत्तियों का पीला होना- पत्तियों का रंग हल्का पीला हो जाता है खासकर पत्तियों की नसों के बीच का हिस्सा यह लक्षण भी नई पत्तियों में अधिक स्पष्ट होता है।
3. पत्तियों पर धब्बे- पत्तियों पर सफेद या भूरे रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं यह धब्बे पत्तियों के किनारों और निचले हिस्से में अधिक होते हैं।
4. विकास में रुकावट- पौधों की वृद्धि धीमी हो जाती है और वे कमजोर हो जाते हैं जड़ें भी कमजोर हो जाती हैं और उनका विकास रुक जाता है।
5. पत्तियों का मुड़ना और सूखना- पत्तियां किनारों से मुड़ने लगती हैं और सूख जाती हैं यह लक्षण भी सबसे पहले नई पत्तियों में दिखाई देता है।
6. फूल और फल का गिरना- जिंक की कमी के कारण फूल और फल छोटे रह जाते हैं या गिर जाते हैं।
समाधान:-
1. जिंक भस्म जमीन पर डाले।
2. चिलेटेड जिंक का स्प्रे करें।
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