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SH. TARA CHAND BELJI

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SH. TARA CHAND BELJI

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ताराचन्द बेलजी मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले के ग्राम कनई से हैं। इनका बचपन कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान से सटे वन ग्रामों के जंगल, पेड़- पौधों और पशु-पक्षियों के बीच प्रकृति के सुरम्य वातावरण में बीता, इसी का परिणाम यह हुआ कि इन्होंने अपना पूरा जीवन वृक्षायुर्वेद के ज्ञान- विज्ञान को सीखने में समर्पित कर दिया और अपने निरंतर अध्ययन, चिंतन से प्रकृति की स्वयंपोषी-स्वयंविकासी-स्वयंपूर्ण करने वाली पंचमहाभूतों की सुक्ष्म अध्यात्मिक ऊर्जा विज्ञान को खोज निकाला। खेती में इस पंचमहाभूत ऊर्जा के ज्ञान का उपयोग आज लाखों किसान करने लगे हैं और हर फसलों का अिधकतम उत्पादन प्राप्त करने लगे हैं। इस खेती से प्राप्त खाद्यान्न खाकर किसान परिवार सहित इस खाद्यान्न को खाने वाले मानव, गाय, पशु-पक्षी सब स्वस्थ होने लगे हैं। ताराचंद बेलजी ने वर्ष 2005 से वर्ष 2009 तक भारत रत्न नानाजी देशमुख के मार्गदर्शन में चित्रकूट में स्थापित कृषि विज्ञान केंद्र, उद्यमिता विद्यापीठ और आरोग्यधाम जैसे भारत के श्रेष्ठ संस्थानों में रहकर समग्र ग्राम विकास के लिए स-पत्नीक समाजसेवा का कार्यकिया। तत्पश्चात 2009 में प्राकृतिक खेती शोध संस्था बालाघाट की स्थापना की और किसानों के साथ मिलकर जैविक/ प्राकृतिक खेती के मूलभूत सिद्धांतो को खोज निकाला तथा वृक्षायुर्वेद के 150 सूक्तों (फार्मूलो) को सिद्ध किये और इन फार्मूलों का उपयोग कर अभी तक 38 फसलों में रासायनिक खेती से ज्यादा अनाज/फल/कंद उपजाकर दिखा दिए है, इनके TCBT पाठशाला यूट्यूब चैनल में इन 38 फसलों के प्लेलिस्ट वीडियो और फ़ोटो पीडीएफ उपलब्ध है, इस प्लेलिट में जाकर देखें कि बिना यूरिया डीएपी डाले फसलें कितनी हरी भरी स्वस्थ और चमकदार है, बिना जहर डाले फसलें निरोगी है। ताराचंद बेलजी अभी तक भारत के 18 राज्यो के 50 हजार किसानों को प्रत्यक्ष रूप से प्रशिक्षण दे चुके है तथा यूट्यूब और सोशल मीडिया के माध्यम से 2 लाख किसानों को प्रशिक्षण दिया है। 20 वर्षों के अनवरत प्रयासों से ताराचन्द बेलजी ने रसायनमुक्त, जहरमुक्त खेती को एक नई दिशा दी है, पंच महाभूतों से खेती करवाने की एक नई सोच, नई विद्या ही कृषि क्षेत्र में जोड़ दी है, या यों कहें कि कृषि क्षेत्र में भारत के प्राचीन कृषि ज्ञान वृक्षायुर्वेद विज्ञान की एक बड़ी लाइन खींच दी है, अपने TCBT (ताराचंद बेलजी तकनीक) ऊर्जाविज्ञान अनुसार आयुर्वेद के भस्म रसायनों और जैव रसायनों से खेती में बम्पर उत्पादन की पूरी प्रक्रिया और व्यवस्था ही स्थापित कर दी है, पंच महाभूत संतुलन की इस TCBT तकनीक से फसलो में बीमारी आती ही नही है। सबसे पहले ताराचन्द बेलजी ने प्रकृति के ऊर्जाविज्ञान को स्पष्टता से समझाया है कि निगेटिव और पॉजिटिव ऊर्जा क्या है, 5 तरह की निगेटिव ऊर्जा (पदार्थ की, प्रक्रिया की, रेडिएशन की, समय की अर्थात तिथि की और मन या विचारों की निगेटीविटी) के बारे में स्पष्टता से बताया है, कि ये ऊर्जा कैसे काम करती हैं और इनसे कैसे बचा जा सकता है। इतना ही नही प्रकृति के पंचमहाभूतो को शुद्ध, सजीव, शक्तिशाली और संस्कारित करके इनमें अतिरिक्त ऊर्जा भरकर कैसे फसल उत्पादन को अतिरिक्त बढ़ाया जा सकता है कि स्पष्ट विवेचना और कार्य पद्धति निर्धारित कर दी है। इस व्यवस्था को देश दुनिया में फैलाने के लिए ताराचंद बेलजी ने किसानों की संस्था बनाई है और किसानों के नेटवर्क के माध्यम से ही इस TCBT कृषि विद्या को गांव गांव तक पहुंचाने की व्यवस्था विकसित किया है। वृक्षायुर्वेद के सूक्तों से विकसित 150 फार्मूलों से बने कृषि उत्पादों को बनाने की प्रक्रिया भी किसान उत्पादक कंपनियों (FPO) और गौशालाओं को सिखा रहे हैं, इस विद्या से खेती करने वाले किसान रसायनिक खेती के दुष्चक्र से निकल रहे हैं। आधुनिक खेती से कठोर हो रही, मृत हो रही मिट्टी को पुनः शुद्ध सजीव और मुलायम हो रही है और उपज में बिना कमी आए अिधकतम उत्पादन प्राप्त कर रहे हैं।